संजय गुप्ता, INDORE. विकास और शहर का मित्र बनने का नारा देकर चुनाव जीते और महापौर का पद संभालने वाले पुष्यमित्र भार्गव अब अपने और निगम के फैसलों के चलते कम से कम व्यापारियों को दुश्मन बनने की भूमिका में नजर आने लगे हैं। उनके लिए हर ओर मोर्चे खुलते जा रहे हैं। एमपीसीए के टिकट विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ कि पहले नगर निगम के अधिकारियों ने टैक्स के लिए मोर्चा खोलते हुए ऐन वक्त त्योहार के मौके पर दस हजार से ज्यादा व्यापारियों को बडे होर्डिंग्स लगाने को लेकर लाखों के टैक्स नोटिस जारी कर दिए। वहीं मध्य बाजार में रेहड़ी वालों और राजनीतिक दबाव में आकर राजबाड़ा के आसपास उन्हें ठेला और रेहड़ी लगाने की दिवाली तक की मंजूरी जारी कर दी। इससे पूरा मध्य बाजार खफा हो गया।
इस तरह से खुल रहा व्यापारियों का मोर्चा
1. साल 2017 का नियम कर दिया लागू
15 दिन पहले नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी आय बढ़ाने के लिए साल 2017 का नियम एकदम से लागू कर दिया। इसके तहत 3 फिट से ऊंचा होर्डिंग्स खुद की दुकान, संस्थान पर लगाने पर टैक्स लगने का प्रावधान है। अभी तक इस नियम के तहत कभी वसूली नहीं हुई थी। व्यापारियों का कहना है कि हमसे कितना टैक्स वसूलोगे, पहले से वो निगम में संपत्तिकर, गुमाशता लाइसेंस, ट्रैड लाइसेंस के साथ ही सफाई कर और अन्य टैक्स देते हैं, सरकार को जीएसटी भी देता है। अब खुद की दुकान पर बोर्ड भी नहीं लगाए। वहीं महापौर के पास इन तीखों सवालों का जवाब केवल यह है कि अभी हमने दिवाली तक टैक्स वसूली नहीं करने का निर्देश दिया है, इसके बाद ही हम टैक्स लेंगे।
2. राजवाड़ा के आसपास के दुकानदारों के विरोध के बाद नगर निगम ने 2 महीने पहले सभी रेहड़ी वालों को हटाया था, क्योंकि इसके चलते गुंडागर्दी की काफी शिकायतें थी, एक व्यक्ति को तो दुकान में घुसकर चाकू मारा गया। वहीं यहां कुछ असामाजिक तत्वों ने किराए पर ओटले देने का धंधा चल रहा था। इसी के विरोध में व्यापारी एकजुट हुए और इन्हें हटाया गया। लेकिन चार दिन पहले रेहड़ी वालों ने राजवाड़ा पर प्रदर्शन किया और फिर दिवाली तक रेहड़ी लगाने की मांग की, जिसे महापौर ने मान लिया। जानकारी के अनुसार पहले भी बीजेपी के दो-तीन नेता यह मांग मानने के लिए दबाव बना रहे थे, आखिर महापौर इस दबाव में आ गए और दिवाली तक की मंजूरी दे दी। इसका हश्र यह हुआ कि शनिवार को पूरा मध्य बाजार की ट्रैफिक जाम हो गया। इसे लेकर रेडीमेड गारमेंट एसोसिएशन ने खुलकर महापौर के इस फैसले को इसके लिए जिम्मेदार बताया।
संदेश जा रहा है कि निगम अधिकारियों पर नहीं है मित्र की पकड़
महापौर के तीन माह के कार्यकाल में ऐसा संदेश गया है कि उनकी निगम अधिकारियों पर रत्ती भर भी पकड़ नहीं रही है। एमपीसीए टिकट विवाद के समय तो क्लियर हो गया, क्योंकि उन्हें पता भी नहीं चला और निगम अधिकारियों ने एमपीसीए ऑफिस पर टैक्स को लेकर छापा मार दिया, जिसने भंयकर तूल पकड़ लिया। वहीं इसके पहले बिल्डर नीलू पंजवानी की बिल्डिंग टूटी तब भी उन्हें खबर नहीं थी, बाद में एक बैठक में अधिकारियों को बोले कि मुझे बताकर कार्रवाई किया करें। इसके बाद व्यापारियों को टैक्स के नोटिस भी जारी हो गए, इसकी भी उन्हें भनक तक नहीं लगी।
अभी तक तो उद्घाटन, नेताओं की आवभगत में गुजरा समय
3 महीने में महापौर का अधिकांश समय उद्घाटन और बड़े नेताओं की आवभगत में ही गुजरा है। फिलहाल वह समस्याओं पर बात करते हुए या उसे सुलझाते हुए कम नजर आते हैं। बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहले ही समझाइश दे चुके हैं कि शहर अधिकारियों के दम पर नहीं चलता है, ऐसे में जब तक वह लीड नहीं लेंगे निगम उनके मुताबिक नहीं चलेगा।